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सत्ता के असली जौहरी: सुरेश सोनी की कहानी, जो प्रधानमंत्री नहीं, प्रधानमंत्री बनाने वाले बने 

कैसे सुरेश सोनी ने मोदी को पीएम और मोहन यादव को सीएम बनवाया? जानिए संघ के इस जौहरी की चुप लेकिन निर्णायक रणनीति |

सत्ता का असली जौहरी: सुरेश सोनी की राजनीति की कहानी

Akhileaks Exclusive

“जो नेता दुनिया को साधारण समझे… उनमें असाधारण की चमक सिर्फ एक ही देख पाए — सुरेश सोनी”

एक शांत चेहरा, कोई बयान नहीं, कोई टीवी डिबेट नहीं, लेकिन फिर भी बीजेपी में कौन मुख्यमंत्री बनेगा, किसे हटाया जाएगा, और मोदी को पीएम बनवाने वाला कौन था — इन सबके पीछे अगर कोई अदृश्य शक्ति रही है तो वह है — सुरेश सोनी।

गुजरात का वडनगर और दो रास्ते

गुजरात के एक छोटे कस्बे वडनगर से निकले दो लोग —
🔹 एक बने नरेंद्र मोदी, देश के प्रधानमंत्री।
🔹 दूसरा बना सत्ता का असली जौहरी — सुरेश सोनी, जो तय करता रहा कि प्रधानमंत्री कौन होगा।

इन दोनों की दोस्ती शुरू हुई राजगढ़, मध्य प्रदेश से — जहाँ सोनी संघ के प्रांत प्रचारक बने और मोदी संगठन प्रभारी।

शिवराज को मुख्यमंत्री बनाने की स्क्रिप्ट

2005 में जब उमा भारती को हटाया गया, भाजपा नेतृत्व भ्रम में था।
तब एक साधारण सांसद शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री बनवाया गया — क्योंकि एक व्यक्ति ने उनमें हीरा देखा — और वो थे सुरेश सोनी।

ये था सोनी का पहला “पॉलिटिकल जौहरी मॉडल” — जो अब भाजपा की सिग्नेचर पॉलिटिक्स बन चुका है।

2013 गोवा बैठक: मोदी का किंगमेकर कौन था?

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक — जहाँ आडवाणी मोदी का विरोध कर रहे थे।
और तभी मंच के पीछे खड़े थे सुरेश सोनी —
उन्होंने ही राजनाथ को अध्यक्ष बनवाया,
आडवाणी की नाराज़गी को हैंडल किया, और नरेंद्र मोदी को PM फेस के रूप में आगे किया।
अगर गोवा की उस बैठक में सोनी न होते — मोदी की यात्रा वहीं रुक जाती।
व्यापम और संघ से दूरी
लेकिन जैसे ही शिवराज ने 2013 में बड़ी जीत हासिल की —
व्यापम घोटाले में सोनी का नाम उछला (बाद में क्लीन चिट मिली),
संघ–भाजपा समन्वयक पद से हटाया गया,
आडवाणी ने भी उनकी आलोचना की,
और संघ ने उनकी शक्तियाँ सीमित कर दीं।

10 साल की चुप रणनीति
2013 से 2023 तक कोई बयान नहीं,
कोई मंच नहीं,
लेकिन हर चुनाव, संगठन में उनकी “परख” और “पकड़” बनी रही।
उन्होंने कैमरे से दूर रहकर वो काम किया — जो टीवी चेहरों से नहीं होता।

2023: सत्ता की दोबारा सर्जरी

जनवरी 2023: नई दिल्ली की बैठक में संघ ने तय किया —
शिवराज को रिपीट नहीं किया जाएगा। फिर अमित शाह ने चुनाव कमान संभाली, और धीरे-धीरे शिवराज साइडलाइन हो गए। और चुनाव परिणाम के बाद — भोपाल में फिर से सक्रिय हुए — सुरेश सोनी।

मोहन यादव और हेमंत खंडेलवाल का चयन

कोई नहीं सोच रहा था कि मोहन यादव मुख्यमंत्री बनेंगे —
लेकिन सोनी की नजर में वो हीरा साबित हुए।

संगठन में भी हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनवाया —
एक और शांत चेहरा, लेकिन रणनीति का हिस्सा।

सोनी का पॉलिटिकल मैजिक क्या है?

भीड़ में से हीरा पहचानना
बिना पद के सत्ता की धुरी तय करना
कैमरे से दूर रहकर गेम बनाना
संगठन और सत्ता — दोनों का समन्वय बैठाना

आज की स्थिति

आज भाजपा की मध्य प्रदेश इकाई हो या मोदी सरकार का बड़ा चेहरा —
उनमें सोनी की “परख” शामिल है।
वो न माइक पर दिखते हैं,
न ट्विटर पर ट्रेंड करते हैं —
लेकिन उनकी परछाईं सत्ता के हर फैसले पर होती है।

Akhileaks Verdict: सत्ता का सबसे चुप, लेकिन सबसे निर्णायक जौहरी
“2013 में जिन्हें हाशिए पर किया गया —
2023 में उन्होंने सबको किनारे कर दिया।”
“नाम है — सुरेश सोनी।
जो राजनीति को शोर नहीं, धार के साथ गढ़ते हैं।”

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