‘PM मोदी की 5 देशों की विदेश यात्रा: भारत बना ग्लोबल साउथ का नया नेता’
मोदी की 5 देशों की विदेश नीति: ग्लोबल साउथ का नया नेता बनकर उभरा भारत
8 दिन | 5 देश | 3 महाद्वीप | एक बड़ा संदेश
अखिलेश सोलंकी | Akhileaks Exclusive
“ये सिर्फ़ एक विदेश यात्रा नहीं थी…
ये भारत की नई विदेश नीति की घोषणा थी —
जहाँ अमेरिका और चीन के बीच
भारत ने चुना है — ग्लोबल साउथ की आवाज़ बनना।”
यात्रा क्यों थी अहम?
2 से 10 जुलाई 2025 —
PM नरेंद्र मोदी ने अफ्रीका, कैरिबियन और लैटिन अमेरिका के पाँच देशों का दौरा किया।
यह केवल कूटनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि भारत के ‘तीसरे ध्रुव’ बनने की ओर पहला मजबूत कदम था।
1. घाना: 30 साल बाद भारत की वापसी
21 तोपों की सलामी, संस्कृत श्लोकों से स्वागत
मोदी को मिला — घाना का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
डिजिटल इंडिया, शिक्षा और रक्षा साझेदारी की घोषणा
अफ्रीकी यूनिटी के मंच पर भारत की भूमिका को मान्यता
2. त्रिनिदाद और टोबैगो: संस्कृति और सियासत का संगम
संसद को संबोधन, प्रधानमंत्री को कहा — “बिहार की बेटी”
राम मंदिर की प्रतिकृति और महाकुंभ का जल भेंट
OCI कार्ड की घोषणा, 180 साल पुराने रिश्तों को नई जान
भारत की सांस्कृतिक डिप्लोमेसी का दमदार प्रदर्शन
3. अर्जेंटीना: 57 साल बाद भारत का नया कूटनीतिक कदम
कृषि, रक्षा और लिथियम खनन में साझेदारी
स्वतंत्रता सेनानी जोस डी सैन मार्टिन को श्रद्धांजलि
बोका जूनियर्स स्टेडियम की यात्रा — क्रिकेट से नहीं, फुटबॉल से जुड़ाव का संदेश
4. ब्राजील और BRICS: भारत बनाम चीन की नई लड़ाई
BRICS सम्मेलन में भारत ने कहा — “ग्लोबल साउथ की असली आवाज़ हम हैं, ड्रैगन नहीं”
पहलगाम हमले की कड़ी निंदा — आतंकवाद पर सख्त रुख
जलवायु, स्वास्थ्य और व्यापार पर नया एजेंडा
भारत-लुला रिश्तों में रणनीतिक गहराई
5. नामीबिया: लोकतंत्र, खनिज और नया भरोसा
27 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री नामीबिया पहुँचे
मोदी को मिला — ऑर्डर ऑफ वेलविट्सचिया मिराबिलिस सम्मान
संसद को संबोधन — डिजिटल लोकतंत्र पर फोकस
क्रिटिकल मिनरल्स में अहम साझेदारी
🎯 असली रणनीति क्या थी?
चीन से ग्लोबल साउथ की लीडरशिप छीनना
BRICS+ में भारत की विश्वसनीयता को मजबूत करना
अमेरिका और यूरोप को संकेत देना — “हम अब सिर्फ़ तुम्हारे भरोसे नहीं हैं”
भारत की विदेश नीति अब “Multi-aligned” है, Non-aligned नहीं
> “जब दुनिया दो ध्रुवों में बंटी हो —
तो तीसरे ध्रुव की ज़रूरत होती है।
और भारत उसी तीसरे विकल्प की भूमिका में है।”
यह यात्रा भाषण, फोटो और सम्मान तक सीमित नहीं थी —
यह थी भारत की नई वैचारिक और रणनीतिक उद्घोषणा।