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मप्र के CMO की घड़ी क्यों नहीं रुकती?

मुख्यमंत्री बदलते नहीं... लेकिन सचिवालय बदलता रहता है। एक मुख्यमंत्री, पाँच अफसर — और अब भी तलाश जारी है।

Akhileaks Exclusive | प्रशासनिक सत्ता की पड़ताल

जब भी कोई नया मुख्यमंत्री बनता है, सबसे पहले सचिवालय में बदलाव होता है — लेकिन मोहन यादव के राज में ये बदलाव बार-बार, तेज़ी से, और बेहद रणनीतिक अंदाज़ में हो रहा है।

18 महीनों में CM सचिवालय में 5 टॉप IAS अफसर बदले जा चुके हैं:

1. राघवेंद्र सिंह

2. संजय शुक्ल

3. भरत यादव

4. राजेश राजौरा

5. नीरज मंडलोई (नवीन)

हर बार एक नई उम्मीद, हर बार एक नया ट्रांसफर ऑर्डर।
सवाल अब “कौन” नहीं है… सवाल है — “क्यों?”

🤔 क्या मुख्यमंत्री को अब तक कोई भरोसेमंद अफसर मिला ही नहीं?

या फिर यह उनकी नई सत्ता शैली है — Team Mohan की सख्त स्क्रीनिंग?

CMO का बार-बार हिलना कुछ अहम इशारे देता है:

🔸 CM को अपनी टीम चाहिए — लेकिन भरोसा टिक नहीं पा रहा
🔸 CM बनाम मुख्य सचिव अनुराग जैन की पावर टसल
🔸 संगठन और दिल्ली — दोनों की पसंद से टकराव
🟡 राजौरा क्यों हटे? मंडलोई क्यों आए?

पूर्व CMO अफसर राजेश राजौरा अनुभवी थे, शांत थे, WRD और NVDA जैसे अहम विभाग देख चुके थे। लेकिन महज़ 7 महीने में हटा दिए गए।

🗣 सूत्रों के अनुसार — मुख्य सचिव अनुराग जैन राजौरा को बनाए रखना नहीं चाहते थे। और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तीन दफा कोशिश की थी CS को मनाने की.. लेकिन बात नहीं बनी और इस पावर संतुलन के बीच नीरज मंडलोई का नाम सामने आया —
✅ 1993 बैच के IAS
✅ ऊर्जा विभाग में सधा हुआ प्रदर्शन
✅ संघ-संगठन के लिए ‘स्वीकार्य’, लेकिन खुला चेहरा नहीं
✅ मिशन फोकस्ड, लो-प्रोफाइल, बिना शोर का असर

🧩 बार-बार बदलाव — रणनीति या कमजोरी?

📌 क्या अफसर बदलना एक संकेत है कि कोई भी बहुत मजबूत न हो पाए?
📌 या यह बताता है कि नेतृत्व अब भी अपनी स्थायी टीम नहीं बना सका?

CMO की कुर्सी बार-बार बदलने से सरकार की रणनीतिक रफ्तार पर भी असर पड़ता है।
जब भी एक नया अफसर आता है, पुरानी फाइलें बंद होती हैं… नई सोच शुरू होती है… और सत्ता की निरंतरता टूटती है।

🧭 संदेश साफ है:

CM मोहन यादव अब न तो सिर्फ संघ से पूछकर अफसर चुन रहे हैं, न ही दिल्ली से डिक्टेशन ले रहे हैं।
वे सत्ता पर पूर्ण नियंत्रण चाहते हैं — हर नियुक्ति, हर निर्णय, हर फाइल उनकी रज़ामंदी से तय हो।

लेकिन सवाल बना हुआ है:
👉 क्या अफसरों की यह आवृत्ति स्थिर प्रशासन को रोक रही है?
👉 क्या यह नेतृत्व की संशयशीलता दिखाती है?
या फिर…
👉 यही असली ‘Team Mohan’ मॉडल है — जिसमें कोई भी नाम बहुत बड़ा ना हो पाए।

⚠ “जब CMO हर कुछ महीनों में नया चेहरा देखता है…

तो सवाल अफसरों पर नहीं — नेतृत्व पर होता है।”

🟥 जानिए अगले कौन बनेगा CM का ‘सबसे खास’?

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