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“क्या भागवत के इशारे पर मोदी रिटायर होंगे? | Akhileaks Verdict”

"75 की उम्र, संघ का संकेत, लेकिन मोदी हटेंगे नहीं — जानिए पूरी रणनीति और हकीकत"

“जब शॉल ओढ़ाई जाती है — तो संकेत होता है कि अब किनारे हो जाना चाहिए।”
ये शब्द किसी राजनीतिक प्रवक्ता के नहीं, बल्कि स्वयं RSS प्रमुख मोहन भागवत के थे।
लेकिन क्या ये सिर्फ़ एक वैचारिक बयान है या मोदी सरकार की दिशा बदलने का संकेत?

9 जुलाई 2025 को दिए गए इस बयान ने भाजपा, संघ और पूरे देश की राजनीति में एक नई चर्चा छेड़ दी है —
क्या नरेंद्र मोदी 75 की उम्र में रिटायर होंगे? या संघ अब भी उन्हीं के साथ अपनी सियासी रणनीति को आगे बढ़ाना चाहता है?

मोहन भागवत का बयान: संयोग नहीं, संदेश?

भागवत बोले: “75 की उम्र के बाद शॉल ओढ़कर किनारे हो जाना चाहिए…”

नाम नहीं लिया, लेकिन तारीखें और इशारे साफ हैं।

पीएम मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 — यानि इसी साल वे 75 वर्ष के हो रहे हैं।

क्या ये बयान सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए था?

यह पहला मौका नहीं है जब संघ ने अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता को आइना दिखाया हो।
2013 में आडवाणी को हटाकर मोदी को आगे किया गया था।
2016 में आनंदीबेन को हटाने में भी संघ की भूमिका रही।

लेकिन अब हालात 2013 जैसे नहीं हैं

2014: मोदी ने भाजपा को पहली बार पूर्ण बहुमत दिलाया

2019: और भी बड़े बहुमत के साथ वापसी

2024: तीसरी बार सत्ता में NDA की सरकार

अब मोदी सिर्फ नेता नहीं, BJP का सबसे बड़ा चेहरा बन चुके हैं।
उनके बिना पार्टी की कोई राष्ट्रीय रणनीति टिकती नहीं दिखती।

मोदी अब पार्टी नेता नहीं, राष्ट्र की ‘स्टैबिलाइजिंग फोर्स’ हैं

इकोनॉमी: भारत अब 3.7 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी है

इन्फ्रास्ट्रक्चर: सेमीकंडक्टर से लेकर हाईवे तक — हर योजना मोदी ब्रांड से जुड़ी

डिप्लोमेसी: Global South में भारत की आवाज़, BRICS विस्तार में भूमिका

रक्षा नीति: ऑपरेशन सिंदूर — भारत की आतंकी नीति का टर्निंग पॉइंट

संघ के लिए चुनौती — उत्तराधिकारी कौन?

संघ के भीतर लंबे समय से उत्तराधिकारी की चर्चा चल रही है, लेकिन:

अमित शाह: संगठन में ताकतवर, पर जनसंपर्क में कमजोर

योगी आदित्यनाथ: मजबूत नेता, पर सीमित आधार

राजनाथ सिंह: सीनियर, लेकिन भावी चेहरा नहीं

यानी कोई भी मोदी का विकल्प नहीं बन सका।

तो क्या संघ मोदी से हटना चाहता है?

नहीं।
RSS सत्ता नहीं, संतुलन की राजनीति करता है।

भागवत का बयान एक वैचारिक सिद्धांत है

लेकिन मोदी की स्थिति राष्ट्रीय राजनीतिक यथार्थ है

संघ यह भी जानता है कि मोदी हटे तो एक “स्टैबिलिटी वैक्यूम” पैदा होगा —
जिसका नुकसान BJP और देश दोनों को होगा।

मोदी क्यों नहीं हटेंगे?

1. BJP के पास कोई दूसरा PM चेहरा नहीं

2. विपक्ष बिखरा हुआ है

3. मोदी ने 2023 में खुद कहा — “Fintech Fest 10वें संस्करण में भी आऊंगा”

4. नेहरू का रिकॉर्ड (17 साल का कार्यकाल) तोड़ना मोदी की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा

अब तक 11 साल हुए हैं, यानी 2029 तक रुकना जरूरी है

निष्कर्ष — भागवत की ‘लाइन’ और मोदी की ‘डायरेक्शन’

संघ चाहे तो दिशा दिखा सकता है

लेकिन सत्ता की स्टीयरिंग अब भी मोदी के हाथ में है

2025 में मोदी 75 साल के होंगे — लेकिन वो रिटायर नहीं होंगे

बल्कि 2029 की नई रणनीति की तैयारी अब शुरू होगी

यह सिर्फ़ सत्ता में बने रहने की बात नहीं —
बल्कि भारत के नेतृत्व की निरंतरता और स्थिरता का सवाल है।

क्या आप मानते हैं कि मोदी 2029 तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे?
नीचे कमेंट में अपनी राय दीजिए और ऐसे ही विश्लेषण पढ़ने के लिए Akhileaks को सब्सक्राइब करें।

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