अखिलीक्स एक्सक्लूसिव, ग्वालियर
जब मंच पर कोई केंद्रीय मंत्री — जो कभी खुद मुख्यमंत्री पद के दावेदार रह चुके हों — इस तरह की बात कहे, तो ये सिर्फ तारीफ नहीं होती। ये एक राजनीतिक संदेश होता है — भोपाल से लेकर दिल्ली तक और सीधा ग्वालियर तक।
23 साल की राजनीति, 4 मुख्यमंत्री और एक नई धुरी
सिंधिया ने नाम नहीं लिया, लेकिन इशारा साफ था। उनके 23 साल के राजनीतिक करियर में मध्यप्रदेश में चार मुख्यमंत्री हुए:
उमा भारती
बाबूलाल गौर
शिवराज सिंह चौहान (18 साल)
मोहन यादव (वर्तमान)
“ऐसा मुख्यमंत्री नहीं देखा…” — यह लाइन सिर्फ़ प्रशंसा नहीं, एक तुलना है, और शायद एक संकेत भी कि मध्यप्रदेश की सत्ता अब किसी और दिशा में बढ़ चुकी है।
मोहन यादव + हेमंत खंडेलवाल = संघ-भरोसेमंद नया पावर सेंटर
मोहन यादव ने सिर्फ मुख्यमंत्री पद नहीं संभाला — उन्होंने पार्टी संगठन में भी अपनी पकड़ बनाई है।
प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की नियुक्ति इसका साफ उदाहरण है — जो संघ और दिल्ली, दोनों की पसंद हैं।
➡ नई सत्ता की धुरी बन चुकी है:
CM मोहन यादव + प्रदेश अध्यक्ष खंडेलवाल = Core RSS-Delhi Axis
शिवराज सिंह — अब सिर्फ़ मंत्री नहीं, जमीनी ‘जननेता’
शिवराज सिंह अब केंद्रीय कृषि मंत्री हैं।
लेकिन उनकी राजनीतिक शैली अब भी मध्यप्रदेश की मिट्टी से जुड़ी हुई है:
सीहोर में आदिवासी विरोध पर सीधा संवाद
देवास में वन विभाग की ज्यादती पर हस्तक्षेप
गांवों में भीगते हुए वायरल वीडियो
साफ संदेश:
“मैं अब भी जनता के साथ हूं… और ज़मीन नहीं छोड़ी है।”
सिंधिया का बयान: तीन दिशाओं में निशाना
सिंधिया का ये बयान सिर्फ तारीफ नहीं, बल्कि तीन लेयर में रणनीतिक चाल थी:
✅ मोदी-शाह को वफादारी का संदेश:
“मैं मोहन यादव के साथ हूं, यानी मैं दिल्ली के साथ हूं।”
🛡 कैबिनेट में अपने गुट को मज़बूती:
सिंधिया गुट के मौजूदा मंत्रियों की स्थिति पुख्ता करना।
🚪 आगामी मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी:
अपने नए समर्थकों की एंट्री पक्की करना।
👉 इस सबके जरिए सिंधिया खुद को मोहन यादव के “रणनीतिक सहयोगी” के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
ग्वालियर-चंबल में सिंधिया vs तोमर — अब खुला मुकाबला
ग्वालियर-चंबल में अब सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर की खींचतान छुपी नहीं है।
सिंधिया समर्थक मंत्रियों के हालिया बयान
शक्ति प्रदर्शन की तस्वीरें
CM मोहन यादव के साथ सार्वजनिक नज़दीकी
संकेत साफ है:
सिंधिया अब सिर्फ़ दिल्ली दरबार के भरोसे नहीं — उनका सीधा कनेक्शन “CM हाउस” से है।
जब ‘मामा-महाराज’ थे साथ… अब ‘महाराज-मोहन’ की जोड़ी!
2020 में कमलनाथ सरकार गिराने में “महाराज + मामा” (सिंधिया + शिवराज) की जोड़ी अहम थी।
लेकिन अब समीकरण बदल गया है।
सिंधिया को ये स्पष्ट हो गया है:
❌ वो खुद मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे।
✅ लेकिन मुख्यमंत्री बनवाएंगे।
और इसीलिए — अब वो खुद को किंग नहीं, बल्कि “किंग मेकर” के रूप में ढाल रहे हैं।
🔺 भाजपा में अब 3 ध्रुव
🟠 मोहन यादव – सत्ता का चेहरा
🟢 शिवराज सिंह चौहान – जनता का चेहरा
🔵 ज्योतिरादित्य सिंधिया – सत्ता-संगठन के बीच का रणनीतिक सूत्रधार
🚫 और नरेंद्र सिंह तोमर?
धीरे-धीरे साइडलाइन की ओर।
Akhileaks Verdict:
“महाराज + मामा” का दौर अब बीता हुआ है।
अब नया समीकरण है — “महाराज + मोहन”।
और सिंधिया की नई पहचान है:
किंग नहीं… बल्कि किंग मेकर।
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