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वसुंधरा राजे की वापसी तय! भाजपा ने भजनलाल शर्मा को हटाने का निर्णय लिया

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मुख्य बातें:

भाजपा ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को हटाने का निर्णय ले लिया है।

वसुंधरा राजे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं — सम्मानजनक विदाई और चुनावी मजबूरी दोनों के तहत।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने इस नेतृत्व परिवर्तन को हरी झंडी दे दी है।

Akhileaks को प्राप्त हुई इनसाइड रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव अगस्त–सितंबर 2025 के बीच हो सकता है।

 

नेतृत्व परिवर्तन क्यों ज़रूरी हो गया?

2023 में मुख्यमंत्री बनाए गए भजनलाल शर्मा पार्टी का एक प्रयोग थे — संगठन का भरोसेमंद लेकिन जनमानस से कटा हुआ चेहरा।
18 महीने बाद, उनकी प्रशासनिक निष्क्रियता और अफसरशाही पर निर्भरता ने राजस्थान में भाजपा की छवि को कमजोर कर दिया।

बीजेपी के आंतरिक सर्वेक्षण में चेतावनी दी गई थी:

> “अगर भजनलाल 2028 तक मुख्यमंत्री बने रहे — तो भाजपा 100 सीटें भी नहीं ला पाएगी।”

 

वसुंधरा राजे: सिर्फ़ सत्ता नहीं, सम्मान का सवाल

वसुंधरा राजे दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।
अब उनकी यह वापसी सत्ता के लिए नहीं — बल्कि एक सम्मानजनक विदाई की लड़ाई के रूप में देखी जा रही है।

उन्होंने पार्टी से स्पष्ट कहा:

> “शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह को तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला…
मुझे भी वही सम्मान मिलना चाहिए — ताकि मैं भैरोसिंह शेखावत और अशोक गहलोत की बराबरी कर सकूं।”

 

लोकसभा चुनाव में झटका बना बदलाव का कारण

2019 में राजस्थान की 25 लोकसभा सीटें भाजपा ने जीती थीं।
लेकिन 2024 में यह संख्या घटकर 14 रह गई — यानी 11 सीटों का नुकसान।

पार्टी नेतृत्व ने अब यह मान लिया है कि:

> “राजस्थान में नया चेहरा नहीं, बल्कि अनुभवी नेतृत्व ही 2028 में पार्टी को सत्ता दिला सकता है।”

 

वसुंधरा बनाम भजनलाल — नेतृत्व की तुलना

बिंदु वसुंधरा राजे भजनलाल शर्मा

कार्यकाल 2 बार CM, 10+ साल 18 महीने
जनाधार मजबूत, राज्यव्यापी सीमित
प्रशासनिक नियंत्रण कठोर और स्पष्ट अफसर-निर्भर
चुनावी अपील व्यापक फीका
हाईकमान से संबंध निजी समीकरण संगठनिक आश्रय

 


Akhileaks Verdict: ये सिर्फ़ वापसी नहीं — विदाई की गरिमा है

> “राजनीति में कुछ वापसी इतिहास रचती हैं…
और कुछ वापसी इतिहास पूरा करती हैं।
वसुंधरा की वापसी — दोनों हैं।”

 

यह निर्णय न सिर्फ़ राजस्थान की सियासत को दिशा देगा,
बल्कि भाजपा के भीतर यह संदेश भी देगा —
“जो नेता पार्टी को जिताता है, उसे इज्ज़त भी मिलती है।”

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