राजस्थान की गद्दी डोल रही है: क्या भजनलाल शर्मा BJP के लिए बोझ बन चुके हैं?
Akhileaks Exclusive
18 महीने की सत्ता, लेकिन जनता से दूरी — भजनलाल पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
2023 में जब भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज की,
तो सबकी निगाहें सिर्फ एक सवाल पर थीं:
“अब मुख्यमंत्री कौन?”
और जब भजनलाल शर्मा का नाम सामने आया —
तो जनता से लेकर पार्टी के भीतर तक कई लोग चौंक गए।
एक ऐसा चेहरा जिसे आम जनता जानती तक नहीं थी,
जिसका कोई जनाधार नहीं, और जो पहली बार विधायक बना था —
उसे सीधे मुख्यमंत्री बना दिया गया।
🔍 गहलोत का दावा: भाजपा में ही ‘भयंकर साजिश’ चल रही है
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में बड़ा दावा किया:
> “भजनलाल शर्मा को हटाने की साजिश BJP के भीतर ही चल रही है — दिल्ली से लेकर जयपुर तक!”
गहलोत की मानें तो भजनलाल के इर्द-गिर्द सिर्फ़ तारीफ़ करने वालों का घेरा बना हुआ है,
जो उन्हें जमीनी सच्चाई से काट रहा है।
भजनलाल की 18 महीने की विफलताएं — 6 ठोस कारण
1. लोकसभा चुनाव में गिरता प्रदर्शन:
2019 में 25 में से 25 सीटें BJP ने जीती थीं, लेकिन 2024 में सिर्फ़ 14 पर सिमट गई।
2. कोटा पेपर लीक कांड और युवा आक्रोश:
सरकार की प्रतिक्रिया धीमी, जिम्मेदारी तय नहीं हुई।
3. वसुंधरा गुट का अंदरूनी असंतोष:
कई विधायक अब भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के साथ हैं।
4. MSP और किसान आंदोलनों पर असफलता:
बिजली, डीज़ल और सब्सिडी मुद्दों पर CM की चुप्पी।
5. कर्मचारियों की हड़तालें और संवादहीनता:
संविदा नीति पर विरोध, लेकिन सरकार मौन।
6. जनता से दूर, मीडिया से कटा नेतृत्व:
जनसुनवाई, संवाद और जन भावनाओं से दूरी बनी रही।
भाजपा में तीन गुट — और सबका लक्ष्य एक: चेहरा बदलो
1. 🟥 वसुंधरा राजे समर्थक गुट – जो बार-बार संकेत देता है कि “असल जीत उन्हीं की देन है”
2. 🟧 दिल्ली का केंद्रीय गुट – जो गजेंद्र शेखावत या दीया कुमारी जैसे चेहरों को आगे लाना चाहता है
3. 🟩 संघ के ज़मीनी कार्यकर्ता – जो भजनलाल को “ब्यूरोक्रेसी केंद्रित” और “जनता से कटा” मानते हैं
क्या BJP 2028 का चुनाव भजनलाल के साथ लड़ सकती है?
> Akhileaks का विश्लेषण साफ है:
“भजनलाल शर्मा जितने दिन मुख्यमंत्री रहेंगे,
भाजपा का ग्राउंड उतना ही कमजोर होता जाएगा।”
राजस्थान एक भावनात्मक राजनीति वाला राज्य है —
जहां जनता नेता को देखना, महसूस करना चाहती है।
लेकिन भजनलाल का ना तो कोई राजनीतिक ‘फुटप्रिंट’ है,
ना ही कोई सामाजिक पकड़।
विकल्पों की कोई कमी नहीं — सवाल है कि फैसला कब होगा?
भाजपा के पास हैं कई विकल्प:
गजेंद्र सिंह शेखावत – अनुभवी, केंद्रीय मंत्री
दीया कुमारी – महिला और युवाओं में लोकप्रिय
वसुंधरा राजे – वापसी के लिए तैयार बैठीं
Akhileaks Verdict:
> “भजनलाल शर्मा 18 महीने में भी अपना प्रभाव नहीं छोड़ सके।
भाजपा नेतृत्व अब भी अगर आंख मूंदे बैठे रहा —
तो 2028 की वापसी सिर्फ़ सपना रह जाएगी।”
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क्या राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलना BJP की ज़रूरत है?